हमारे शरीर में सात ऊर्जा केंद्र होते हैं जिन्हें सात चक्र भी कहते हैं, हम आपको उनकी पूरी जानकारी देंगे।
जिस प्रकार एक बीज को वृक्ष बनने के लिए अनुकूल वातावरण की जरुरत होती है, उसी प्रकार इस चक्र की शक्तियों को जागृत होने के लिए आपकी तीव्र इच्छा, आनन्द और निर्विचार होने का वातावरण चाहिए।
ये चक्र आपके अंदर स्थित है और आपकी ही इच्छा से जागृत होगा। बिना आपकी मर्जी या इच्छा के इसको कोई भी जागृत नहीं कर सकता।
इस चक्र के जागृत होने से आपके ऊपर दूसरों के द्वारा की गई कोई भी काली विद्या या कोई भी बुरे तंत्र-मन्त्र का प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस चक्र से सभी विघ्न ख़त्म हो जाते हैं।
इस चक्र से शारीरिक और मानसिक ज्यादातर प्रॉब्लम ख़त्म हो जाती है।
1. मूलाधार चक्र
मूलाधार चक्र का स्थान, हमारी रीड़ की हड्डी के एकदम नीचे होता है।
इसका शासक ग्रह, मंगल है। इसका रंग लाल है।
इस चक्र की चार पंखुड़ियाँ होती है। ये चारों पंखुड़ियाँ बेहद शक्तिशाली होती हैं। इसका बीज मन्त्र लं है। चारों पंखुड़ियों को जागृत करने के लिए इस मन्त्र को चार बार बोला जाता है।
इस चक्र का राग, श्याम कल्याण है जो इसी चक्र को जगाने के लिए होता है।
मूलाधार चक्र जिन बिमारियों को नियंत्रित करता है वह हैं - प्रोस्टेट की समस्या, प्रजनन शक्ति की कमी, कब्ज़ या मॉल मूत्र त्यागने में कोई प्रॉब्लम, बवासीर या पाइल्स की प्रॉब्लम और इसके आसपास के सभी अंगों की समस्याएं।
2. स्वाधिष्ठान चक्र
दोस्तों, स्वाधिष्ठान चक्र का स्थान, नाभि और मूलाधार चक्र के मध्य में यानि पेट के निचले भाग में होता है।
यह चक्र ही बुद्धि, दिमाग और रचनात्मकता प्रदान करता है।
पाचन क्रिया भी इसी चक्र की शक्ति से हो पाती है।
यह चक्र पांचों तत्वों में अग्नि तत्व से सम्बंधित होता है।
स्वाधिष्ठान चक्र का दिन बुधवार होता है।
इसका शासक ग्रह, बुध है। इसका रंग पीला है।
इस चक्र की छः पंखुड़ियाँ होती है। ये सभी पंखुड़ियाँ बेहद शक्तिशाली होती हैं। इसका बीज मन्त्र वं है। इन सभी पंखुड़ियों को जागृत करने के लिए इस मन्त्र को छः बार बोला जाता है।
इस चक्र का राग, यमन कल्याण है जो इसी चक्र को जगाने के लिए होता है।
स्वाधिष्ठान चक्र के आसपास के एरिया के जो भी रोग होते हैं वो सभी ठीक हो जायेंगे। जैसे लिवर, गर्भाशय, अग्न्याशय (पेन्क्रियास), पाचन शक्ति।
3. नाभि चक्र
दोस्तों, नाभि चक्र का स्थान, हमारी रीड़ की हड्डी में नाभि के एकदम पीछे की साइड होता है।
यह चक्र पांचों तत्वों में जल तत्व से सम्बंधित होता है।
नाभि चक्र का दिन बृहस्पति वार होता है।
इसका शासक ग्रह, बृहस्पति है। इसका रंग हरा है।
इस चक्र की दस पंखुड़ियाँ होती है। ये सभी पंखुड़ियाँ बेहद शक्तिशाली होती हैं। इसका बीज मन्त्र रं है। इन सभी पंखुड़ियों को जागृत करने के लिए इस मन्त्र को दस बार बोला जायेगा।
इस चक्र का राग, अभोगी है जो इसी चक्र को जगाने के लिए होता है।
नाभि चक्र से कौन सी बीमारियां ठीक होती हैं।
शुगर, धन और सुख-शांति की समस्या, परिवार सम्बंधित समस्याएँ, एलर्जी, पेन्क्रियास, पेट और आँतों की समस्याएँ, जिद्दी स्वाभाव इत्यादि।
4. अनाहद चक्र
दोस्तों, अनाहद चक्र का स्थान, हमारी रीड़ की हड्डी में हृदय के मध्य के एकदम पीछे की साइड होता है। इसे हृदय चक्र भी कहते हैं।
यह चक्र पांचों तत्वों में वायु तत्व से सम्बंधित होता है।
अनाहद चक्र का दिन शुक्रवार होता है।
इसका शासक ग्रह, शुक्र है। गुलाब के फूल जैसा गुलाबी होता है।
इस चक्र की 12 पंखुड़ियाँ होती है। ये सभी पंखुड़ियाँ बेहद शक्तिशाली होती हैं। इसका बीज मन्त्र यं है। इन सभी पंखुड़ियों को जागृत करने के लिए इस मन्त्र को 12 बार बोला जाता है।
इस चक्र का राग, दुर्गा है जो इसी चक्र को जगाने के लिए होता है।
ख़राब अनाहद चक्र से कौन सी बीमारियां होती हैं।
हृदय रोग, साँस की तकलीफ, फेफड़ों में तकलीफ, ब्रेस्ट कैंसर, आत्मविश्वास की कमी, व्यक्ति भयभीत रहता है इत्यादि।
5. विशुद्धि चक्र
दोस्तों, विशुद्धि चक्र का स्थान, हमारी रीड़ की हड्डी में गले के एकदम पीछे की साइड होता है।
यह चक्र पांचों तत्वों में आकाश तत्व से सम्बंधित होता है।
विशुद्धि चक्र का दिन शनिवार होता है।
इसका शासक ग्रह, शनि है।
इस चक्र का रंग नीला होता है
इस चक्र की 16 पंखुड़ियाँ होती है। ये सभी पंखुड़ियाँ बेहद शक्तिशाली होती हैं। इसका बीज मन्त्र हं है। इन सभी पंखुड़ियों को जागृत करने के लिए इस मन्त्र को 16 बार बोलना होता हैं।
विशुद्धि चक्र का राग, जैजैवन्ती है जो इसी चक्र को जगाने के लिए होता है।
ख़राब विशुद्धि चक्र से कौन सी बीमारियां होती है?
आवाज़ ख़राब होना, गले की प्रॉब्लम, डेप्रेशन, सर्वाइकल की प्रॉब्लम, साइनस, मुँह का कैंसर, स्पोंडीलाइटिस यानि गर्दन और रीड की हड्डी में दर्द, थाइराइड की प्रॉब्लम इत्यादि।
6. आज्ञा चक्र
आज्ञा चक्र, हमारे माथे में स्थित होता है आज्ञा चक्र में हमारा अहंकार और हमारे संस्कार शामिल हैं। यह हमारी पहचान की भावना का निर्माण करता है।
आज्ञा चक्र का दिन रविवार होता है।
इसका शासक ग्रह, सूर्य है।
इस चक्र का रंग प्रकाश जैसा सफ़ेद होता है।
यह चक्र तप और ध्यान सम्बंधित होता है।
आज्ञा चक्र का राग, भोपाली है जो इसी चक्र को जगाने के लिए होता है।
इसका बीज मन्त्र हं है।
इस चक्र की 2 पंखुड़ियाँ होती है। ये पंखुड़ियाँ बेहद शक्तिशाली होती हैं। इन पंखुड़ियों को जागृत करने के लिए इस बीज मन्त्र को 2 बार बोला जाता है।
ख़राब आज्ञा चक्र से कौन सी बीमारियां होती है?
आँखों की समस्या, सर भारी रहना, माइग्रेन, क्रोध आना, स्वाभाव में कठोरता इत्यादि।
7. सहस्त्रार चक्र
सहस्त्रार चक्र हमारे सिर के शीर्ष पर तालु भाग में होता है, जब हम छोटे थे तो नरम था। सहस्रार चक्र सभी चक्रों से ऊपर होता है और हमारे सिर के शीर्ष पर सभी चक्रों के संयोजन से बना है।
सहस्त्रार चक्र का दिन सोमवार होता है।
इसका शासक ग्रह, चन्द्रमा है। इस चक्र में सभी प्रकार के रंग होते हैं।
सहस्त्रार चक्र की 1000 पंखुड़ियाँ होती है। ये सभी पंखुड़ियाँ बेहद शक्तिशाली होती हैं। इसका बीज मन्त्र ॐ है। क्यूंकि हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं, इसलिए इन सभी पंखुड़ियों को जागृत करने के लिए इस मन्त्र को 7 बार बोला जायेगा।
सहस्त्रार चक्र का राग, दरबारी है जो इसी चक्र को जगाने के लिए होता है।
सहस्त्रार चक्र से कौन सी बीमारियां ठीक होती हैं -
हमारे शरीर में रीड की हड्डी के नीचे त्रिकोणी हड्डी में कुंडलिनी शक्ति होती हैं। जब 6 चक्र जागृत होकर ये शक्ति सहस्त्रार का भेदन करती है तो हमारा सम्बन्ध चोरों ओर फैली परमात्मा की ब्रह्मांडीय शक्तियों से जुड़ जाता है जिससे शरीर के सभी रोग ठीक होने लगते हैं।
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समीक्षाएं (2 )
Rekha rani
19-05-2024Suffering from neurological problem Both legs n left side body everytime sensation. Neck n head pain
आपकी टिप्पणीMeenu kumari
06-08-2024Bahut acha lga sir muje bi sanjivani dhatu order karni hai
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