संजीवनी धातु का चमत्कारी अमृत जल आपके जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख देगा। जिसका असर पहले दिन से ही देखने को मिलेगा।
ये अमृत समान पानी आपको जीवनभर हर क्षेत्र में लाभ देगा। ये दिव्य पानी शारीरिक रोगो की जड़ पर कार्य करता है। ज्यादातर रोग तो लगभग खत्म होने लगते हैं और बाकी के रोगों का प्रभाव भी कम होने लगता है।
संजीवनी धातु बहुत सी धातुओं के मिश्रण से बनी, समुंद्र से निकाली गई एक ऐसी धातु है जो अनेकों वर्षों तक समुन्द्र में रहने से ऊर्जावान हो गई, जिसके मनुष्य के शरीर पर चमत्कारी लाभ देखने को मिले। संजीवनी धातु से शारीरिक और मानसिक सन्तुलन होने से रोग ठीक होने लगते हैं तथा आनन्द और सुख की भी प्राप्ति होती है।
संजीवनी धातु में समुंद्र और चंद्रमा की अपार शक्तियाँ विद्यमान हैं। हमारे शरीर का संबंध सबसे ज़्यादा समुद्र (जल) और चंद्रमा से ही होता है क्यूँकि हमारे शरीर में 70% से ज़्यादा जल तत्व होता है और हमारा मन और भावनाएँ चंद्रमा की शक्ति से संचालित होते हैं।
चंद्रमा धरती का उपग्रह है। सभी ग्रहों में सबसे अधिक गति से चलने वाला चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता हैं। इसके साथ ही मन, मष्तिष्क, बुद्धिमता, स्वभाव, जननेंद्रिय और प्रजनन संबंधी रोगों का कारक हैं। हर एक व्यक्ति के मन और भावनाओं पर प्रभाव डालता है।
जल तथा सभी तरल पदार्थ चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। महिलाओं के मासिक धर्म और चंद्रमा के 28 दिवस चक्र के बीच सीधा संबंध हैं।
चंद्रमा के कारण ही समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा सभी ग्रहों का मित्र ग्रह हैं। इसलिए जब हमारे अंदर चंद्रमा के प्रभाव का संतुलन होगा तो सभी ग्रह स्वतः ही अनुकुल होने लगेंगे।
अगर इस संजीवनी धातु को सही तरीके से इस्तेमल करे तो पूरा शरीर स्वस्थ और आनंदमय रहने लगेगा। आपकी समस्याएँ खत्म होने लगेगी ।
संजीवनी धातु जिसमें अनेक वर्षों तक समुन्द्र में रहने से वो शक्ति आ गई जो आपको पहले दिन से ही बदलने लगेगी। आप स्वस्थ, सुखी और आनंदित रहने लगेंगे और आपके सभी कार्य आसान होने लगेंगे।
इसके लिए आपको समुन्द्र मंथन के अर्थ को समझना जरुरी है। जिसको अगर सही तरीके से समझ लिया जाये तो इंसान वह सभी सुख, शांति और आनंद पा सकता है जिसकी शायद उसने केवल कल्पना ही की होगी, कभी उस अवस्था को पाने के तरीके को नहीं जाना होगा।
तो शुरू करते हैं आज की इस बहुमूल्य जानकारी को।
बचपन से ही हमने अनेक किस्से और कहानियाँ सुनी होंगी। ज्यादातर बातों को केवल कहानी समझकर सुन लेते थे।
दोस्तों, आज हम बात करेंगे समुन्द्र मंथन की। हमारा प्रयास रहेगा कि आप ये जान पाएं कि समुन्द्र मंथन से हमे क्या सन्देश मिलता है। अगर इसको समझ लिया तो आप वो सब पा सकते हैं जो आपके जीवन को आनंद और खुशियों से भर दे।
दोस्तों समुन्द्र मंथन, हमें हमारे जीवन का मंथन करना सिखाता है। कहते हैं देवताओं और असुरों में अक्सर युद्ध होते रहते थे, ये असुर या राक्षस इतने शक्तिशाली होते थे कि देवताओं को भी हरा देते थे। देवताओं को युद्ध से जान बचा कर भागना पड़ता था, या अदृश्य होना पड़ता था।
देवताओं ने युक्ति से काम लिया। असुरों से लड़ने के बजाय अगर देवताओं को अमृत मिल जाये तो असुरों से भागना नहीं पड़ेगा। उनको ख़त्म किया जा सकेगा। इसके लिए देवतों को जिन्दा रहने के लिए अमृत की आवश्यकता थी जो समुन्द्र की गहराईयों से प्राप्त होगा। इसको प्राप्त करने के लिए समुन्द्र का मंथन करना पड़ेगा। अब सागर मंथन के लिए बहुत सारी शक्ति चाहिए थी। ये केवल तभी संभव हो सकता था कि देवता और ताकतवर असुर मिलकर इस मंथन को करें।
समुन्द्र मंथन शुरू हुआ, इस मंथन से 14 रत्न निकले थे जिसका क्रम इस प्रकार से था।
दोस्तों, समुन्द्र मंथन में सबसे पहले कालकूट विष निकला जो इतना खतरनाक था कि सारे संसार को नष्ट कर सकता था। तब अत्यंत शान्त और भोले स्वाभाव वाले नीलकण्ठ भगवान शिव ने उस विष को पीकर अपने कंठ में रोक लिया। क्यूंकि विष के प्रभाव को ख़त्म किये बगैर आगे के रत्नों को पाना सम्भव नहीं था। दोस्तों, आज के युग में इन्सान के अन्दर जो क्रोध, नफरत, इर्षा, लोभ, लालच, अहंकार, जिद्द, अपयश, निन्दा इत्यादि हैं वो विष के समान ही हैं। अनेक धर्म बन गए, सभी खुद को श्रेष्ठ बनाने में लगे हैं, दूसरे देशों पर अधिकार की लड़ाईयां हो रही है। जगह-जगह युद्ध हो रहा है, लोग उग्रवादी बन रहे हैं।
एक आम आदमी भी इस विष से वंचित नहीं है। इसका अर्थ ये है कि इंसान अपने दिमाग में इच्छाओं का एक संसार बना कर बुद्धि को सीमित कर लेता है। जब कोई बात उसकी इच्छा के अनुसार नहीं होती तब ये विष, क्रोध और नफरत के रूप में अपना असर दिखाता है। उसके अंदर जो योग्यता है वो दब जाती है या अदृश्य हो जाती है, मन शान्त नहीं रह पाता, चिंता और तनावग्रस्त रहने लगता है। इससे शरीर कमजोर और बीमार होने लगता है।
इंसान अगर अपने दिमाग से इन इच्छाओं की सीमा को हटा दे, तो उसको कोई गलत नहीं लगेगा, सब कुछ केवल साक्षी भाव से देखेगा, उसपर अपनी प्रतिक्रिया नहीं करेगा। इन विष रुपी अवगुणों से बच पायेगा, केवल तभी आगे के मंथन का लाभ मिल सकेगा।
इसका मतलब यह होता है कि जो आसुरी आदतों का जन्म हमारे शरीर के साथ ही हुआ है उनसे लड़कर हम शरीर से निकाल नहीं सकते हैं। उन आदतों को शक्तिशाली होने के कारण को समझना है। अपनी सही सोच को अमृत पिलाना है। अर्थात अपनी बाधाओं को युक्ति द्वारा ठीक करना है। जिससे ना क्रोध आएगा, ना अहंकार होगा, ना इर्षा और नफरत होगी, इंसानियत के प्रति प्रेम और करुणा बढ़ेगी और फिर हम स्वस्थ, सुख और शान्ति से जी सकेंगे। विनाश के बजाये उत्थान का काम करने लगेंगे। इंसान को यही सब समझाने के लिए ही समुन्द्र मंथन हुआ था।
दोस्तों, अब जानते हैं समुन्द्र मंथन से प्राप्त हुए बाकी के रत्नों के बारे में।
दूसरा रत्न प्राप्त हुआ, कामधेनु गाय। जो बहुत ही विनम्र और शांत होती है।
यानि जब आपके अंदर से काम, क्रोध, लोभ, अहंकार जैसी चीजों का विष निकल जायेगा तब आप शांत और विनम्र होने लगेंगे। आपकी प्रतिभा या आपकी योग्यता जागृत हो सकेगी। आप जो भी काम करेंगे वो बहुत समझदारी से करने लगेंगे।
आपमें कामधेनु गाये के गुण होने पर ही ये तीसरा रत्न प्राप्त होगा। इसका अर्थ ये है कि जब आप कोई ऐसा काम करेंगे जिसमे संसार का भी भला हो तो आपको प्राप्त होगा उच्चैःश्रवा घोडा। इस घोड़े के पंख भी लगे होते हैं। ये दौड़ भी सकता है और उड़ भी सकता है। यानि आपकी प्रतिभा, संसार में पंख लगे उचेश्रवा घोड़े की गति से फैलने लगेगी।
चौथे रत्न का अर्थ है एक बहुत बड़े आकार का हाथी, जब आपकी प्रतिभा की गति अच्छी हो जाती है तब आपकी सोच और समझ का आकार ऐरावत हाथी जैसा विशाल हो जाता है। जैसे हाथी को देखकर लोग खुश होते हैं उसका विरोध नहीं करते। वो अपनी मस्ती में चलता रहता है, पीछे मुड़ कर नहीं देखता। यदि कोई आपकी आलोचना भी करे तो भी आपको अपने प्रतिभा के हाथी को रुकने नहीं देना है।
पांचवां रत्न तभी प्राप्त होगा जब आप अपने संकल्प की गति या अपनी प्रतिभा की गति को कम नहीं होने देंगे और विरोधियों की और ध्यान नहीं देंगे, आपकी चाल मस्त हाथी जैसी होगी तो जैसे विष्णु जी के माथे पर कौस्तुभ मणि सजी रहती है वैसी कौस्तुभ मणि जैसी प्रतिभा और शान आपको भी प्राप्त होगी।
छठे नंबर पर समुन्द्र मंथन से ऐसा वृक्ष निकला जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करने में सक्षम है। जब आप किसी की परवाह किये बगैर, लोगो के हित में कार्य करते जायेंगे तो जैसे कल्प वृक्ष से जो मांगो मिल जाता है वैसे ही आपकी सभी इच्छाएँ पूरी होने लगेंगी।
विष की तरह इस वासना रूपी अप्सरा रम्भा को भी आपने छोड़ना होगा। क्यूंकि इतना सब पा लेने के बाद आपमें वासना जागृत होगी। सब कुछ होने के बाद और भी पाने की वासना। आपको और पाने का लोभ या लालच छोड़ना होगा। आपको अपने आप सब मिलता जायेगा।
अगर आप उस लोभ और लालच जैसी वासना से निकल पाए तो आपको देवी लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होगी। सब कुछ स्वतः ही मिलने लगेगा। आप पूरी तरह सम्पन्न होते जायेंगे।
देवी लक्ष्मी के सारे आशीर्वाद के बाद आपको वारुणी यानि शराब के नशे की तरह दौलत का नशा आएगा। अहंकार और बुरी आदतें पड़ सकती हैं। इससे आपको बचना है।
दौलत के इस नशे से बचने पर और अहंकार रहित होने पर आपमें चन्द्रमा जैसी शीतलता आ जाएगी। अपार धन दौलत के बावजूद भी आप बालक समान शीतल और अबोध रहने लगेंगे।
इन 10 उपलब्धियों के बाद आपके गुणों और कर्मों की खुश्बू पारिजात वृक्ष की तरह चारों ओर फैलने लगेगी।
इसके बाद आपकी कीर्ति के शंख की ध्वनि जैसा उद्घोष पूरे विश्व में फैलने लगेगा।
इन सब उप्लभ्धियों के बाद भगवान धन्वंतरि के आशीर्वाद से आप इतने शांत रहने लगेंगे जिससे आपको कोई रोग नहीं होगा अपितु जो भी आपके पास आएगा उसके रोग आपके माध्यम से दूर होने लगेंगे।
तब आपको अमृतत्व की प्राप्ति हो जाएगी। आपकी तरक्की को कोई रोक नहीं पायेगा। आपको आपके इस संसार से जाने के बाद भी आपकी कीर्ति अमर रहेगी।
दोस्तों, नमक, मोती, मूँगा, शंख, गोमती चक्र और कोड़ी, ये सब भी समुन्द्र से मिलते हैं। अर्थात हमें जो भी समुंद्र से प्राप्त हुआ वो सभी बहुत प्रभावशाली एवं शक्तिशाली हैं।
दोस्तों, जो बातें हमने समुन्द्र मंथन के महत्त्व की जानीं हैं वैसे ही फायदे आपको, अनेक वर्षो तक समुन्द्र में रही संजीवनी धातु के उपयोग से बहुत ही सहज तरीके से मिल सकते हैं। ये सारे लाभ पाने के लिए, आपने मन में विचारों की जो सीमाएं बना रखी हैं उन्हें हटाना होगा। संजीवनी धातु मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक है। संजीवनी धातु का वाइब्रेट किया हुआ पानी पीने से आपको शीघ्र लाभ होने लगेंगे।
'दोस्तों, संजीवनी धातु की खोज की जरुरत क्यों थी इसके लिए आप हमारी वेबसाइट पर "अबाउट अस" में जान सकते हैं और ये कैसे इस्तेमाल की जाती है इसकी जानकारी के लिए आप हमारा वीडियो "संजीवनी धातु कैसे काम करती है" देखें।'
अपनी खोज करते-करते हमें समुन्द्र से एक ऐसी धातु प्राप्त हुई जो अनेकों वर्षों तक समुन्द्र में रही और जो मनुष्य में, वो सभी बदलाव ला सके जिसकी सबसे ज़्यादा जरुरत हैं। जिसका नाम हमने संजीवनी धातु रखा। ये इंसान को पूरी तरह से बदल के रख देगी।
संजीवनी धातु का ऑर्डर देने के लिए आपको ऑर्डर फॉर्म भरना है।
मूल्य :- भारत में रुपये 7100/-
भुगतान किए जाने के बाद 7 कार्य दिवसों के भीतर संजीवनी धातु आपको मिल जाएगी।
मूल्य :- विदेश के लिए $251 USD
भुगतान किए जाने के बाद 21 कार्य दिवसों के भीतर संजीवनी धातु आपको मिल जाएगी।
नोट :- अगर आपको संजीवनी धातु से अच्छा लाभ मिले तो अपने जानने वालों को भी इसको लेने के लिए कहें। इससे आप सभी आपस में एक दूसरे से इससे होने वाले अनेकों फायदों के बारे में जान सकेंगे।
हमारे खुश ग्राहकों के समुदाय में शामिल हों और अंतर का अनुभव करें।
डिस्कवर, संलग्न, विकसित: हमारे नवीनतम ब्लॉग जादू का अनुभव करें।
जिस प्रकार एक बीज को वृक्ष बनने के लिए अनुकूल वातावरण की जरुरत होती है, उसी प्रकार इस चक्र की शक्तियों को जागृत होने के लिए आपकी तीव्र इच्छा, आनन्द और निर्विचार होने का वातावरण चाहिए।
समुंद्र से निकाली गई अनेक ऐसी धातुएँ जो मनुष्य के शरीर में तुरत बदलाव ला सके और जिसका कोई दुष्प्रभाव भी न होता हो। ऐसा बदलाव जो हमें न केवल स्वस्थ कर दे बल्कि हमें मानसिक संतुलन भी दे सके। सुख और आनंद दे सके। संजीवनी धातु में समुंद्र और चंद्रमा की अपार शक्तियाँ विद्यमान हैं।
ये एक ऐसा शब्द हैं जो इतना बड़ा समाधान कर देता हैं जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हर एक व्यक्ति ये सोचता हैं की हमने क्षमा कर दिया हक़ीक़त में क्षमा हुआ की नहीं हुआ
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